Sumit Antil ने रचा इतिहास: दूसरे स्वर्ण पदक के साथ
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“Paralympic athlete Sumit Antil ने रचा इतिहास, अपने दूसरे स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। उन्होंने अपनी अद्वितीय क्षमता और दृढ़ संकल्प के साथ भाला फेंक में शानदार प्रदर्शन किया, जिससे भारत का नाम रोशन हुआ। सुमित ने न केवल अपने खेल कौशल का परिचय दिया, बल्कि अपने संघर्ष और मेहनत की प्रेरणादायक कहानी भी सबके सामने रखी। उनके इस ऐतिहासिक कारनामे ने पैरालंपिक खेलों में भारत की स्थिति को और भी मजबूत किया है, और उन्होंने एक बार फिर से साबित किया है कि किसी भी बाधा को दृढ़ संकल्प से पार किया जा सकता है।”
सुमित अंतिल ने कैसे जीता दूसरा स्वर्ण पदक
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पेरिस पैरालंपिक्स में ऐतिहासिक जीत
Sumit Antil ने Paris Olympic (Sumit Antil ने रचा इतिहास) में पुरुषों की F64 भाला फेंक स्पर्धा में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। हालांकि, इस जीत के पीछे का सफर आसान नहीं था।
पीठ की चोट और नींद की कमी
स्पर्धा से एक दिन पहले, सुमित अंतिल की पीठ की पुरानी चोट ने उन्हें परेशान कर दिया था। इससे उन्हें नींद नहीं आ रही थी और वह दर्द निवारक दवाएं ले रहे थे। इस महत्वपूर्ण प्रतियोगिता का दबाव भी उनके मन पर हावी था।
फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ ने दिया प्रेरणा
अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, सुमित ने एथलीट्स विलेज में अपने कमरे में फरहान अख्तर की फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ देखी। यह फिल्म उन्हें प्रेरित करने और उनका मनोबल बढ़ाने में मददगार साबित हुई।
नीरज चोपड़ा का संदेश
सुमित अंतिल (Sumit Antil ने रचा इतिहास) के मन में तनाव और बेचैनी थी। वह बस चाहते थे कि फाइनल जल्दी से शुरू हो जाए ताकि वह अपना काम पूरा कर सकें। जब वह एथलीट्स विलेज से स्टेड डे फ्रांस में पैरा एथलेटिक्स स्थल के लिए जा रहे थे, तब उनके मोबाइल पर भारत के भाला फेंक स्टार और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा का संदेश आया। नीरज ने लिखा, “सभी शुभकामनाएं, घबराना नहीं, अपने पर विश्वास रखना और 100% देना।”
नीरज चोपड़ा का संदेश सुमित अंतिल के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया। उनकी सकारात्मक ऊर्जा ने सुमित को विश्वास दिया और उन्हें अपनी क्षमता पर भरोसा करने के लिए प्रेरित किया। इसी विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ, सुमित अंतिल ने फाइनल में शानदार प्रदर्शन किया और लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया।
Sumit Antil ने पैरिस में फिर रचा इतिहास, back pain और negative विचारों को पीछे छोड़ किया गोल्ड डिफेंड
सोमवार की शाम Paris में Sumit Antil ने रचा इतिहास। पिछले एक साल से पीठ के दर्द और नेगेटिव विचारों से जूझने के बावजूद, सुमित ने अपना ध्यान केंद्रित रखा। अपनी आखिरी रेस की याद और अपने दोस्त नीरज चोपड़ा की सलाह को दिल में रखते हुए, उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में जीते हुए गोल्ड मेडल को सफलतापूर्वक डिफेंड किया।
सुमित ने 70.59 मीटर की शानदार थ्रो के साथ पैरिस गेम्स में नया पैरालंपिक रिकॉर्ड कायम किया। इस रिकॉर्ड-ब्रेकिंग थ्रो ने उन्हें पहला भारतीय पुरुष और देश के दूसरे व्यक्ति के रूप में पैरालंपिक खिताब बचाने वाला बना दिया।
सुमित ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “यह मेरे लिए सब कुछ था। मेरा वर्षों पुराना सपना था कि मैं अपने खिताब की रक्षा करूं। बैक पेन ने मुझे लगभग एक साल तक परेशान किया, कई रातों की नींद हराम कर दी। मैंने अपनी पसंदीदा मिठाइयों को छोड़कर, 10.12 किलोग्राम वजन घटाया ताकि मैं पैरिस (Sumit Antil ने रचा इतिहास) के लिए पूरी तरह से फिट हो सकूं। आज मुझे खुशी है कि मेरी मेहनत रंग लाई। अब वक्त है आराम करने का, और फिर लॉस एंजिल्स 2028 की तैयारी शुरू करूंगा।”
सुमित के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन (Sumit Antil ने रचा इतिहास) ने न केवल भारत को गर्वित किया है, बल्कि उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष की कहानी हर एथलीट के लिए प्रेरणा बनी है।
Sumit Antil बने दो Paralympic golds जीतने वाले तीन भारतीयों के विशिष्ट क्लब का हिस्सा
Sumit Antil ने Paris Olympic में अपने प्रदर्शन से एक नया इतिहास रचते हुए खुद को भारत के उन तीन एथलीटों की सूची में शामिल कर लिया है, जिन्होंने दो पैरालंपिक गोल्ड मेडल जीते हैं। इस विशिष्ट क्लब में सुमित के अलावा पैरा शूटर अवनि लेखरा और वर्तमान पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (PCI) के अध्यक्ष देवेंद्र झाझरिया हैं, जिन्होंने 2004 एथेंस और 2016 रियो खेलों में भाला फेंक F46 गोल्ड जीता था।
सुमित ने अपने दोस्त और एथलीट नीरज चोपड़ा से मिली सलाह का भी जिक्र किया। नीरज ने उन्हें बताया कि “पैरिस का माहौल बहुत अच्छा है और वहां का अनुभव शानदार होगा, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कोई नया प्रयोग मत करना और अपनी तकनीक पर भरोसा रखना।” सुमित ने बताया कि वह नीरज के साथ सालों से संपर्क में हैं और हर पंद्रह दिनों में फोन पर बातचीत करते रहते हैं। जब भी वे बात करते हैं, तो चर्चा उनके खेल को लेकर होती है, जैसे कि “हमें अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए और देश के लिए गौरव हासिल करना चाहिए।”
नीरज की यह सलाह सुमित के लिए बेहद कारगर साबित हुई, खासकर जब बड़े मंच पर एथलीट्स अक्सर नर्वस हो जाते हैं और तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। सुमित (Sumit Antil ने रचा इतिहास), जो हरियाणा के सोनीपत से हैं और 2015 में एक बाइक दुर्घटना के बाद अपनी बाईं टांग खो चुके थे, ने इस चुनौती को पार करते हुए विश्व स्तर पर अपना नाम बनाया है। उनका विश्व रिकॉर्ड 73.29 मीटर का है, जो उनके असाधारण खेल कौशल का प्रमाण है।
Sumit Antil की नजर 80 मीटर पार करने और LA 2028 में gold hat-trick पर
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Sumit Antil ने Paris Olympic में (Sumit Antil ने रचा इतिहास) अपना स्वर्ण पदक बरकरार रखने के बाद भविष्य के लिए अपनी महत्वाकांक्षाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि वह अगले एक या दो सालों में 75 मीटर से आगे जाने का प्रयास करेंगे और उनकी नजर 2028 लॉस एंजिल्स पैरालंपिक में गोल्ड की हैट्रिक पर है।
सुमित ने कहा, “शीर्ष पर पहुंचना आसान है, लेकिन वहां बने रहना बहुत कठिन। मैं अगले साल भारत में होने वाली वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। हमारा (कोचिंग स्टाफ) अल्पकालिक फोकस इसी पर है। आमतौर पर हमारे खेल में खिलाड़ी 31-32 साल की उम्र में अपने पीक पर होते हैं। मैंने टोक्यो और पैरिस में बैक-टू-बैक गोल्ड जीते हैं और मेरी कोशिश होगी कि लॉस एंजिल्स में भी गोल्ड की हैट्रिक करूं।”
सुमित (Sumit Antil ने रचा इतिहास) ने आगे कहा, “एक दिन मैं 80 मीटर की दूरी भी पार करना चाहता हूं। यह एक बहुत ही खास अनुभव होगा।” उनके इस बयान ने यह साफ कर दिया है कि उनका लक्ष्य सिर्फ जीत तक सीमित नहीं है, बल्कि वह अपने प्रदर्शन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
निष्कर्ष
Sumit Antil ने अपने दृढ़ संकल्प, अनुशासन और अटूट विश्वास के साथ एक बार फिर इतिहास रचते हुए दूसरे स्वर्ण पदक (Sumit Antil ने रचा इतिहास) पर कब्जा किया। पीठ के दर्द जैसी शारीरिक चुनौतियों और मानसिक तनाव को पार करते हुए उन्होंने न केवल अपने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि अपने खेल के प्रति जुनून और समर्पण की मिसाल भी पेश की। टोक्यो में जीते स्वर्ण पदक को पैरिस में डिफेंड करते हुए उन्होंने साबित किया कि सच्ची मेहनत और लगन से कोई भी बाधा अपराजेय नहीं होती। सुमित का यह ऐतिहासिक प्रदर्शन (Sumit Antil ने रचा इतिहास) भारत के खेल इतिहास में एक सुनहरे अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।