पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में हुए भीषण रेल हादसे के बाद, सिग्नल फेल होने के कारणों को लेकर बवाल मच गया है।सूत्रों के अनुसार, हादसे वाले रूट पर ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम सुबह 5:50 बजे से ही खराब था।इसके बावजूद, काननझुंगा एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा दी गई, जिसके बाद यह ट्रेन रानीपतरा रेलवे स्टेशन और छत्तरहाट जंक्शन के बीच एक मालगाड़ी से टकरा गई।इस घटना के बाद, रेलवे सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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रेल हादसे के बाद सिग्नल फेल होने के कारण को लेकर मचा बवाल
रेल हादसे के बाद सिग्नल फेल होने के कारण को लेकर मचा बवाल

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नई दिल्ली: हाल ही में पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में हुए रेल हादसे को लेकर जांच जारी है। इस हादसे में सियालदह जाने वाली काननझुंगा एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी. रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष और सीईओ जया वर्मा सिन्हा ने इस हादसे के लिए मालगाड़ी के लोको पायलट को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि लोको पायलट ने सिग्नल को नजरअंदाज किया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।

लेकिन रेल हादसे के बाद, रेलवे के अधिकारियों का कहना कुछ और ही है. उनका दावा है कि जिस रास्ते पर यह हादसा हुआ, वहां पर स्वचालित सिग्नल प्रणाली (Automatic Signalling System) कुछ समय से खराब थी. खराबी के चलते उस रूट पर कागजी सिग्नल या पेपर लाइन क्लियर टिकट (Paper Line Clear Ticket) का इस्तेमाल किया जा रहा था. रेलवे के अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया है कि चूंकि ऑटोमैटिक सिग्नलिंग खराब थी, इसलिए रानीपानी स्टेशन और छत्तरहाट जंक्शन के बीच मालगाड़ी को सभी लाल सिग्नल पार करने की अनुमति दे दी गई थी ।

रेल हादसे के बाद, अब सवाल यह उठता है कि आखिर हादसे का असली कारण क्या है? क्या यह वाकई में लोको पायलट की गलती थी, या फिर खराब सिग्नलिंग प्रणाली हादसे के लिए जिम्मेदार है? फिलहाल इस मामले की जांच जारी है और अभी यह बता पाना मुश्किल है कि असल में हुआ क्या था ।

इस हादसे ने रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. लोगों का कहना है कि अगर सिग्नलिंग प्रणाली खराब थी, तो मालगाड़ी को हरी झंडी कैसे दिखा दी गई? रेलवे प्रशासन ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है ।

पश्चिम बंगाल में हुऐ रेल हादसे के बाद अब सामने आए दस्तावेज इस दावे पर सवाल खड़े कर रहे हैं। रानीपानी स्टेशन के स्टेशन मास्टर द्वारा मालगाड़ी चालक को एक लिखित प्राधिकरण पत्र दिया गया था, जिसे पीएलसीटी (PLCT) या टी/ए 912 (T/A 912) के नाम से जाना जाता है। इस पत्र में चालक को सभी लाल सिग्नल पार करने की अनुमति दी गई थी। पत्र में लिखा था, “स्वचालित सिग्नल प्रणाली खराब है और आपको रानीपानी रेलवे स्टेशन और छत्तरहाट जंक्शन के बीच सभी स्वचालित सिग्नल पार करने की अनुमति है।”

गौरतलब है कि रेलवे अधिकारियों ने भी माना है कि हादसे वाले रास्ते पर स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली काम नहीं कर रही थी, जिसके चलते पीएलसीटी जारी किया गया था। हालांकि, अधिकारियों का यह भी कहना है कि भले ही पीएलसीटी दिया गया हो, रेलवे नियमों के अनुसार ऐसे में भी मालगाड़ी चालक को कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं। नियमों के अनुसार, लाल सिग्नल पर चालक को 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से सिग्नल के पास जाना चाहिए, जितना हो सके सिग्नल के पीछे रुकना चाहिए, दिन के समय 1 मिनट और रात के समय 2 मिनट रुकने के बाद ही 10 किमी प्रति घंटा की गति से आगे बढ़ना चाहिए।

रेल हादसे के बाद, अब यह सवाल उठता है कि क्या वाकई में मालगाड़ी चालक ने इन नियमों का पालन नहीं किया? या फिर हादसे का कारण कुछ और था? फिलहाल जांच जारी है और यह स्पष्ट होना बाकी है कि आखिर हुआ क्या था। इस मामले ने रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे प्रशासन से जवाब मांगा जा रहा है कि आखिर खराब सिग्नलिंग प्रणाली के बावजूद मालगाड़ी को आगे बढ़ने की अनुमति कैसे दे दी गई? रेलवे प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया है।

दरअसल, रानीपानी स्टेशन मास्टर ने मालगाड़ी चालक को एक लिखित प्राधिकरण पत्र यानी पीएलसीटी जारी किया था। इस पत्र में चालक को सभी लाल सिग्नल पार करने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि उस रास्ते पर स्वचालित सिग्नल प्रणाली खराब थी।

लेकिन, कहानी यहीं खत्म नहीं होती। रेलवे के नियमों के अनुसार, भले ही पीएलसीटी जारी किया गया हो, फिर भी मालगाड़ी चालक को कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं।

  • धीमी गति से गुजरना: लाल सिग्नल पर चालक को 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से सिग्नल के पास जाना चाहिए।
  • सिग्नल के पीछे रुकना: जितना हो सके सिग्नल के पीछे रुकना चाहिए।
  • प्रतीक्षा करना: दिन के समय 1 मिनट और रात के समय 2 मिनट रुकने के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए।
  • सुरक्षित दूरी बनाए रखना: सिग्नल पार करने के बाद सामने वाली गाड़ी या किसी रुकावट से कम से कम 150 मीटर या दो ओएचई स्पैन की दूरी बनाए रखनी चाहिए।

एक सेवानिवृत्त रेलवे इंजीनियर का कहना है कि विस्तृत जांच से ही पता चल पाएगा कि आखिर हुआ क्या था, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिरकार लोको पायलट ने पीएलसीटी को दरकिनार क्यों किया?

इस रेल हादसे के बाद रेलवे की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, किसी ट्रेन को ब्लॉक स्टेशन में तभी प्रवेश दिया जाता है, जब आगे के स्टेशन से लाइन क्लीयरेंस मिल जाए। लेकिन, अगर सिग्नलिंग प्रणाली खराब हो या कोई दिक्कत हो और ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट्स (स्वचालित सिग्नल प्रणाली) काम न करें, तो संबंधित स्टेशन मास्टर ही पीएलसीटी जारी कर के ट्रेन को आगे बढ़ने का आदेश देता है।

न्यू जलपाईगुड़ी हादसा: दोनों ट्रेनों को पीएलसीटी जारी करना बड़ा सवाल

इस रेल हादसे के बाद पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि “इन सवालों का जवाब सिर्फ रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच रिपोर्ट ही दे सकती है।” उन्होंने बताया कि “हैरानी की बात ये है कि काननझुंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी दोनों ही चल रही थीं।”

गौर करने वाली बात ये है कि दोनों ही ट्रेनों को पीएलसीटी जारी किया गया था, जिसके तहत उन्हें खराब सिग्नलों को पार करने की अनुमति मिली थी। एक अन्य अधिकारी ने सवाल किया कि “जब दोनों गाड़ियों को पीएलसीटी दिया गया था, तो फिर उन्हें चलने की अनुमति क्यों दी गई?”

बता दें कि नियमों के अनुसार, जिस ड्राइवर को पीएलसीटी जारी किया जाता है, उसे हर खराब सिग्नल पर अपनी ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना चाहिए और फिर 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना चाहिए।

लेकिन, इस मामले में दोनों ट्रेनों को चलने की अनुमति देना गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या रेलवे प्रशासन ने उचित सावधानी नहीं बरती? या फिर कोई और प्रक्रिया अपनाई गई थी? इस मामले की जांच जारी है और रेलवे प्रशासन से जवाब मांगा जा रहा है। रेलवे प्रशासन ने वादा किया है कि जांच पूरी होने के बाद जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

न्यू जलपाईगुड़ी हादसे में विवाद गहराया: रेलवे बोर्ड और रेलवे यूनियन आमने-सामने

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इस हादसे के बाद रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि “मालगाड़ी चालक ने सिग्नल को दरकिनार कर दिया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।”

हालांकि, रेलवे बोर्ड के इस बयान पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) सब्यसाची राय का कहना है कि “फिलहाल हमारे पास इस बात का कोई सत्यापन नहीं है कि स्वचालित सिग्नल खराब था या ट्रेनों को पीएलसीटी जारी किया गया था।” उन्होंने बताया कि “हमारी प्राथमिकता फिलहाल दुर्घटनास्थल को दुरुस्त करने और प्रभावित लोगों तक हर तरह की मदद पहुंचाने पर है।” उन्होंने यह भी बताया कि “दोनों ट्रेनें बहुत धीमी गति से चल रही थीं और काननझुंगा एक्सप्रेस को मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी थी।”

इस बीच, कोलकाता में एक रेलवे यूनियन के नेता ने रेलवे बोर्ड के उस बयान पर सवाल उठाया है, जिसमें कहा गया था कि लोको पायलट ने सिग्नल का उल्लंघन किया। उनका कहना है कि “वे उस लोको पायलट को कैसे दोषी ठहरा सकते हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं है और अपना पक्ष नहीं रख सकता।

निष्कर्ष

न्यू जलपाईगुड़ी रेल हादसे की जांच अभी जारी है और इस हादसे के असली कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। रेलवे बोर्ड और रेलवे यूनियन के बीच बयानों का विरोध जारी है। जहाँ रेलवे बोर्ड मालगाड़ी चालक को जिम्मेदार ठहरा रहा है, वहीं रेलवे यूनियन का कहना है कि जांच पूरी होने तक किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस हादसे ने रेलवे सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले की गहन जांच करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा ना हों। साथ ही, रेलवे सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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